मगरमच्छ दुविधा में पड़ गया. एक ओर मित्र था, तो दूसरी ओर पत्नि. अंत में उसने अपनी पत्नि के प्राण बचाने का निर्णय किया.
गाँव में भय का वातावरण व्याप्त हो गया. धीरे-धीरे गाँव के लोग पलायन कर दूसरे गाँव जाने लगे.
वह दर्द से तिलमिला उठा और अपने प्राण बचाने वहाँ से भाग गया.
बिना सोचे-समझे किसी भी निर्णय पर नहीं पहुँचना चाहिए.
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फिर तो यही सिलसिला चल पड़ा. रोटी को जो टुकड़ा बड़ा होता, वो बराबर करने बंदर उसे तोड़कर खा जाता.
SAŠA OBRADOVIĆ, trener košarkaša Monaca, poludio je na svoje igrače tijekom time-outa domaće utakmice Eurolige protiv Partizana.
बंदर ठंड से ठिठुर रहा था. ठिठुरन के कारण उसके read more दांत किटकिटा रहे थे.
एक बार कुछ समुद्री नाविक एक बड़े जहाज में समुद्री यात्रा पर निकले.
ये सुनना था कि बंदर क्रोध में लाल-पीला हो गया.
मगरमच्छ अपनी पत्नि से बहुत प्रेम करता था. उससे उसकी वह हालत देखी नहीं जा रही थी.
जंगल पहुँचकर एक पेड़ के नीचे उसने खाने की सारी चीज़ें रख दी और छुपकर बंदरों के आने की प्रतीक्षा करने लगी. कुछ देर बाद बंदरों का समूह वहाँ आया. उन्होंने जब खाने की ढेर सारी चीज़ें देखी, तो घंटी को एक तरफ़ फेंक उन्हें खाने दौड़ पड़े.
“यदि ऐसी बात है, तो तुम मेरा मरा मुँह देखने को तैयार रहो.” उसकी पत्नि रुठते हुए बोली.
“राजा और मैं? कैसे?” बंदर ने आश्चर्य से पूछा.